जानते है कुछ मुख्य बिदुंओ पर की कौन खास बाते है जो फलादेश मे अहम है -- चलिए बताते है कुछ बातो को जो फलादेश की खास बाते है ---मकर और कुम्भ ...
जानते है कुछ मुख्य बिदुंओ पर की कौन खास बाते है जो फलादेश मे अहम है -- चलिए बताते है कुछ बातो को जो फलादेश की खास बाते है
---मकर और कुम्भ का बुध अगर बलवान है,तो वह जातक के अन्दर जल्दी से धन कमाने की वृत्ति प्रदान करेगा,और जासूसी के कामों के अन्दर खोजी दिमाग देगा,और अगर बुधमेष राशि का है तोबातों की चालाको को प्रयोग करेगा।
----.तुला का शुक्र दो शादियां करवा कर दोनो हीपति या पत्नियों को जिन्दा रखता है,जबकि मकर का शुक्र एक को मारकर दूसरे से प्रीति देता है।
----.लगन पाप ग्रहों से युत हो तो जातक नीच विचारों वाला,कुकर्मो से प्रसन्न होने वाला,दुर्गन्ध को अच्छा समझने वाला होता है।
----.यात्रा के समय अष्टम भाव में स्थित पापग्रहों से खबरदार रहो,पापग्रहों की कारक वस्तुयें सेवन करना,पापग्रह के कारक आदमी पर विश्वास करना और पाप ग्रह की दिशा में यात्रा करना सभी जान के दुश्मन बन सकते हैं।-
--यदि रोग का आरम्भ उस समय से हो जब चन्द्रमा जन्म समय के पाप ग्रहों के साथ हो,या उस राशि से जिसमे पाप ग्रह है,से चार सात या दसवें भाव में हो तो रोग भीषण होगा,और रोग के समय चन्द्रमा किसी शुभ ग्रह के साथ होया शुभ ग्रह से चार सात और दसवें भाव में हो तो जीवनको कोई भय नही होगा
---किसी देश के पाप ग्रहों का प्रभाव गोचर केपाप ग्रहों से अधिक खराब होता है।
---यदि किसी बीमार आदमी की खबर मिले और उसकी कुन्डली और अपनी कुन्डली में ग्रह आपस में विपरीत हों तो स्थिति खराब ही समझनी चाहिये।
----.यदि लगन के मुख्य कारक ग्रह मिथुन कन्या धनु और कुम्भ के प्रथम भाग में न हों,तो जातक मनुष्यता से दूर ही होगा,उसमे मानवता के लिये कोई संवेदना नही होती है।
------जन्म कुन्डलियों में नक्षत्रों को महत्व दिया जाता है,अमावस्या की कुन्ड्ली में ग्रहों का मासिक महत्व दिया जाता है,किसी भी देश का भाग्य का महत्व भी उतना ही जरूरी है।
-----.अगर किसी की जन्म कुन्डली में पाप ग्रह हों और उसके सम्बन्धी की कुन्डली में उसी जगह पर शुभ ग्रह हों,तो पाप ग्रह शुभ ग्रहों को परेशान करने से नही चूकते।
-----.यदि किसी नौकर का छठा भावांश मालिक की कुन्डली का लगनांश हो,तो दोनो को आजीवन दूर नही किया जा सकता है ।
-----यदि किसी नौकर का लगनांश किसी मालिक का दसवांश हो तो मालिक नौकर की बात को मान कर हर काम कर सकता है वफादार कह सकते है।
----एक सौ उन्नीस युक्तियां ज्योतिष में काम आती है,बारह भाव,बारह राशिया,अट्ठाइस नक्षत्र द्रेष्काण आदि ही ११९ युक्तियां हैं।
---जन्म की लगन को चन्द्र राशि से सप्तम मानकर किसी के चरित्र का विश्लेषण कर सकते है,देखो कितने गूढ रहस्य सामने आते है,और जो पोल अच्छे अच्छे नही खोल सकते वे सामने आकर अपना हाल बताने लगेंगीं।
---व्यक्ति की लम्बाई का पता करने के लिये लग्नेश दसवांश के पास होने वाला कारक लम्बा होगा,तथा अस्त औरसप्तम के पास कारक ठिगना होगा।
---पतले व्यक्तियों का लगनेश अक्षांश के पासशून्य कीतरफ़ होगा,मोटे व्यक्तियों का अक्षांश अधिक होगा,उत्तर की तरफ़ वाला अक्षांश बुद्धिमान होगा,और दक्षिण की तरफ़ वाला अक्षांश मंद बुद्धि होगा
--घर बनाते समय कारक ग्रहों में कोई ग्रह अस्त भाग २,३,४,,६,७वें भाव में हो तो उसी कारक के द्वारा घर बनाने में बाधा पडेगी इन्ही मे 4 मे राहू आऐ और कोई घर मे बदलाव के लिए छेडछाड करे तो मानसिक कलेश और बिमारिया नही जाती इस घर मे बैठे ग्रह राहू या शनी की वस्तुओ को घर मे रखने से और मकान बदलना या तोडफोड इनके बुरे फल को दुगना करता है अपने मकान को माता के नाम या पत्नी के नाम से बदलाव कर सकते है।
------यात्रा में मंगल अगर दस या ग्यारह में नहीहै,तो विघ्न नही होता है,यदि यात्रा के समय मंगल इन स्थानोंमें है तो यात्रा में किसी नकिसी प्रकार की दुर्घटना होती है,या चोरी होती है,अथवा किसी न किसी प्रकार का झगडा फ़साद होता है खासतर अष्टम मगंल हो तो और यदि उसकी युति शनि से राहू से हो।
-----अमावस तक शरीर के दोष बढते है,और फ़िर घटने लगते हैं।
-----किसी रोग में प्रश्न कुन्डली में अगर सप्तम भाव या सप्तमेश पीडित है तो फ़ौरन डाक्टर को बदल देना चाहिए !
---------कन्या और मीन लगन का जातक स्वयं अपने प्रताप और बल पर गौरव का कारण बनेगा,लेकिन मेष या तुला में वह स्वयं अपनी मौत का कारण बनेगा क्यूकी मेष मे वह अधिक आत्मविश्वाष और निडरता के कारण कुछ काम ऐसा जरूर करता है जो उसे मृत्यु तक ले जाते है तुला का मितव्यी के वासनारत होकर खुद को रोग ग्रस्त हो जाता है इसमे सुर्य अपनी चेतना नही देता और केतु अनावश्क कार्य की ले जाता है जिससे शरीर रोग ग्रस्त हो जाता हालाकी सब मे ऐ नही होता पर अधितर देखा गया है ।
---मकर और कुम्भ का बुध अगर बलवान है,तो वह जातक के अन्दर जल्दी से धन कमाने की वृत्ति प्रदान करेगा,और जासूसी के कामों के अन्दर खोजी दिमाग देगा,और अगर बुधमेष राशि का है तोबातों की चालाको को प्रयोग करेगा।
----.तुला का शुक्र दो शादियां करवा कर दोनो हीपति या पत्नियों को जिन्दा रखता है,जबकि मकर का शुक्र एक को मारकर दूसरे से प्रीति देता है।
----.लगन पाप ग्रहों से युत हो तो जातक नीच विचारों वाला,कुकर्मो से प्रसन्न होने वाला,दुर्गन्ध को अच्छा समझने वाला होता है।
----.यात्रा के समय अष्टम भाव में स्थित पापग्रहों से खबरदार रहो,पापग्रहों की कारक वस्तुयें सेवन करना,पापग्रह के कारक आदमी पर विश्वास करना और पाप ग्रह की दिशा में यात्रा करना सभी जान के दुश्मन बन सकते हैं।-
--यदि रोग का आरम्भ उस समय से हो जब चन्द्रमा जन्म समय के पाप ग्रहों के साथ हो,या उस राशि से जिसमे पाप ग्रह है,से चार सात या दसवें भाव में हो तो रोग भीषण होगा,और रोग के समय चन्द्रमा किसी शुभ ग्रह के साथ होया शुभ ग्रह से चार सात और दसवें भाव में हो तो जीवनको कोई भय नही होगा
---किसी देश के पाप ग्रहों का प्रभाव गोचर केपाप ग्रहों से अधिक खराब होता है।
---यदि किसी बीमार आदमी की खबर मिले और उसकी कुन्डली और अपनी कुन्डली में ग्रह आपस में विपरीत हों तो स्थिति खराब ही समझनी चाहिये।
----.यदि लगन के मुख्य कारक ग्रह मिथुन कन्या धनु और कुम्भ के प्रथम भाग में न हों,तो जातक मनुष्यता से दूर ही होगा,उसमे मानवता के लिये कोई संवेदना नही होती है।
------जन्म कुन्डलियों में नक्षत्रों को महत्व दिया जाता है,अमावस्या की कुन्ड्ली में ग्रहों का मासिक महत्व दिया जाता है,किसी भी देश का भाग्य का महत्व भी उतना ही जरूरी है।
-----.अगर किसी की जन्म कुन्डली में पाप ग्रह हों और उसके सम्बन्धी की कुन्डली में उसी जगह पर शुभ ग्रह हों,तो पाप ग्रह शुभ ग्रहों को परेशान करने से नही चूकते।
-----.यदि किसी नौकर का छठा भावांश मालिक की कुन्डली का लगनांश हो,तो दोनो को आजीवन दूर नही किया जा सकता है ।
-----यदि किसी नौकर का लगनांश किसी मालिक का दसवांश हो तो मालिक नौकर की बात को मान कर हर काम कर सकता है वफादार कह सकते है।
----एक सौ उन्नीस युक्तियां ज्योतिष में काम आती है,बारह भाव,बारह राशिया,अट्ठाइस नक्षत्र द्रेष्काण आदि ही ११९ युक्तियां हैं।
---जन्म की लगन को चन्द्र राशि से सप्तम मानकर किसी के चरित्र का विश्लेषण कर सकते है,देखो कितने गूढ रहस्य सामने आते है,और जो पोल अच्छे अच्छे नही खोल सकते वे सामने आकर अपना हाल बताने लगेंगीं।
---व्यक्ति की लम्बाई का पता करने के लिये लग्नेश दसवांश के पास होने वाला कारक लम्बा होगा,तथा अस्त औरसप्तम के पास कारक ठिगना होगा।
---पतले व्यक्तियों का लगनेश अक्षांश के पासशून्य कीतरफ़ होगा,मोटे व्यक्तियों का अक्षांश अधिक होगा,उत्तर की तरफ़ वाला अक्षांश बुद्धिमान होगा,और दक्षिण की तरफ़ वाला अक्षांश मंद बुद्धि होगा
--घर बनाते समय कारक ग्रहों में कोई ग्रह अस्त भाग २,३,४,,६,७वें भाव में हो तो उसी कारक के द्वारा घर बनाने में बाधा पडेगी इन्ही मे 4 मे राहू आऐ और कोई घर मे बदलाव के लिए छेडछाड करे तो मानसिक कलेश और बिमारिया नही जाती इस घर मे बैठे ग्रह राहू या शनी की वस्तुओ को घर मे रखने से और मकान बदलना या तोडफोड इनके बुरे फल को दुगना करता है अपने मकान को माता के नाम या पत्नी के नाम से बदलाव कर सकते है।
------यात्रा में मंगल अगर दस या ग्यारह में नहीहै,तो विघ्न नही होता है,यदि यात्रा के समय मंगल इन स्थानोंमें है तो यात्रा में किसी नकिसी प्रकार की दुर्घटना होती है,या चोरी होती है,अथवा किसी न किसी प्रकार का झगडा फ़साद होता है खासतर अष्टम मगंल हो तो और यदि उसकी युति शनि से राहू से हो।
-----अमावस तक शरीर के दोष बढते है,और फ़िर घटने लगते हैं।
-----किसी रोग में प्रश्न कुन्डली में अगर सप्तम भाव या सप्तमेश पीडित है तो फ़ौरन डाक्टर को बदल देना चाहिए !
---------कन्या और मीन लगन का जातक स्वयं अपने प्रताप और बल पर गौरव का कारण बनेगा,लेकिन मेष या तुला में वह स्वयं अपनी मौत का कारण बनेगा क्यूकी मेष मे वह अधिक आत्मविश्वाष और निडरता के कारण कुछ काम ऐसा जरूर करता है जो उसे मृत्यु तक ले जाते है तुला का मितव्यी के वासनारत होकर खुद को रोग ग्रस्त हो जाता है इसमे सुर्य अपनी चेतना नही देता और केतु अनावश्क कार्य की ले जाता है जिससे शरीर रोग ग्रस्त हो जाता हालाकी सब मे ऐ नही होता पर अधितर देखा गया है ।
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