शिवपुरी। जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में हुए आतंकी हमले में जहां 20 जवान शहीद हुए हैं वहीं दूसरी ओर भारत ने भी ठान लिया है कि अब वो ईंट का ...
शिवपुरी। जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में हुए आतंकी हमले में जहां 20 जवान शहीद हुए हैं वहीं दूसरी ओर भारत ने भी ठान लिया है कि अब वो ईंट का जवाब पत्थर से देगा। इसी मद्देनजर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में अहम बैठक बुलाई है जिसमें रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी शामिल होंगे। वहीं सोमवार को गृहसचिव राजीव महर्षि कश्मीर दौरे गए। वह यहां सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया। सूत्रों के हवाले से खबर है कि भारतीय सेना एलओसी पर तोपों की तैनाती और अन्य ऑपरेशंस को मंजूरी देने की मांग कर सकती है। यही नहीं भारतीय सुरक्षा बलों का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि सरकार सीमा पार हमलों पर भी विचार करे।
सुरक्षा बलों का मानना है कि सरकार को पाकिस्तानी सीमा के भीतर सीमित, लेकिन कड़े हमले करने की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए। एलओसी सीमा पर सेना की तैनाती करने का फैसला पाकिस्तानी सेना को भी नुकसान पहुंचाने की रणनीति है। जो लगातार जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराती रही है और उन्हें मदद करती है। विशेषज्ञों ने महसूस किया कि उरी हमले को अंजाम देने वालों को कैसे, कब और कहां सजा दी जाएगी, इस बारे में देश के राजनीतिक नेतृत्व को सावधानी के साथ फैसला करना है। हालांकि जम्मू कश्मीर मामलों को देख रहे भाजपा नेता राम माधव ने कहा कि रणनीतिक संयम रखने के दिन खत्म हो गए हैं और उन्होंने सुझाव दिया कि हमले के बाद 'एक दांत के लिए पूरा जबड़ा
की नीति होनी चाहिए।
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में सेना की एक बटालियन के मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले के बाद डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने बताया कि मारे गए सभी चार आतंकवादी विदेशी थे. वे जो सामान वे लोग लेकर आए थे उन पर पाकिस्तान निर्मित होने के निशान हैं. शुरुआती रिपोर्ट से संकेत मिलते हैं कि मारे गए आतंकवादियों का ताल्लुक जैश-ए-मोहम्मद संगठन से है.
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