महिला संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट पर रात्रि में संचालिका व उसके प्रो. पिता पर पुलिस ने किया था केस दर्ज शिवपुरी। शहर के पटेल नगर क्षे...
महिला संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट पर रात्रि में संचालिका व उसके प्रो. पिता पर पुलिस ने किया था केस दर्ज
शिवपुरी। शहर के पटेल नगर क्षेत्र में लंबे समय से संचालित बाल आश्रम में रहने वाली नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण, छेडख़ानी करने का गंभीर मामला सामने आया है यहां रहने वाली बच्चियों से संचालिका व उसके पिता यौन शोषण करते थे। इस बात का खुलासा बाल कल्याण समिति द्वारा की गई काउंसलिंग के दौरान हुआ। इस मामले में महिला संरक्षण अधिकारी महिला सशक्तिकरण सरिता शुक्ला की रिपोर्ट पर पुलिस ने बलात्कार, छेडख़ानी, पास्को एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। कोतवाली पुलिस ने जहां देर रात केस दर्ज किया था वहीं गुरूवार सुबह आरोपी संचालिका एड. शैला अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है जबकि उसके पिता सेवानिवृत्त प्रो. केएन अग्रवाल अभी फरार बने हुए हंै।
जानकारी के अनुसार शकुंतला परमार्थ समिति द्वारा पटेलनगर में एड. शैला अग्रवाल द्वारा एक बालगृह का संचालन किया जाता है। बालगृह में 23 बच्चे निवासरत हैं। महिला सशक्तिकरण कार्यालय से इस बालगृह को अनुदान दिया जाता है। बताया जाता है कि बाल संरक्षण अधिकारी महिला सशक्तिकरण सरिता शुक्ला द्वारा प्रति सप्ताह बालगृह का निरीक्षण किया जाता है और इस दौरान बालगृह में रहने बालक एवं बालिकाओं से उनकी समस्याओं के बारे में भी पूछताछ की जाती है। इस दौरान बालगृह का एक कर्मचारी संरक्षण अधिकारी के साथ रहता था। इस दौरान बालगृह में हो रही गतिविधियों पर संदेह हुआ। इसी के चलते कल बाल कल्याण समिति द्वारा काउंसलिंग कराई गई। इस दौरान 6 बालिकाओं को अपने कार्यालय बुलाया गया। इस दौरान विभाग द्वारा ग्वालियर से विशेष महिला काउंसर बुलाए गए थे। काउंसरों द्वारा ही काउंलिंग की गई। काउंसलिंग के दौरान बच्चियों ने बताया कि उनके साथ काफी समय से बालगृह संचालिका और उसके पिता द्वारा दुराचार किया जा रहा है। बच्चियों ने बताया कि उनके साथ मारपीट भी की जाती थी और धमकाया जाता था। उक्त खुलासे की सूचना विभाग के अधिकारियों ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से दी गई। बाल संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट पर कोतवाली पुलिस ने बालगृह संचालिका एवं उसके पिता पर भादवि की धारा 376, 354, 190, 323, 506,120 सहित 3,4,5,6,7,8,9,10 पीसीएसओ एक्ट के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया। विदित हो कि करीब एक डेढ़ माह पूर्व बालगृह से दो बालिकाएं भाग गई थीं। सूत्रों की मानें तो बालिकाओं द्वारा विभाग के अधिकारियों को बताया गया कि बालगृह में गलत काम होता है और हमारे साथ कोई गलत कार्य न हो इसलिए हम यहां से भाग गई थीं। उक्त मामले की आने बाद से विभाग द्वारा बालगृह की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया गया था।
बालगृह के बच्चों को छात्रावास में किया शिफ्ट
बालगृह में रहने वाली 6 नाबालिग बालिकाओं को महिला सशक्तिकरण अधिकारी द्वारा रात्रि में ही कमला गंज में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित छात्रावास में शिफ्ट करा दिया गया था। आज सुबह पुन: महिला सशक्तिकरण अधिकारी पुलिस के साथ पटेलनगर में स्थित बालगृह पर पहुंची जहां से शेष बच्चों को छात्रावास में पहुंचा दिया गया।
इस पूरे मामले में पुलिस व प्रशासन ने भी तत्परता का परिचय दिया है। बताया जाता है कि आश्रम में रहने वाली निराश्रित बच्चियों ने बुधवार महिला सशक्तिकरण कार्यालय में काउंसलिंग के दौरान बच्चियों के साथ हो रहे दुराचार व यौन शोषण की शिकायत महिला शक्तिकरण अधिकारी से की थी जिसे गंभीरता से लेते हुए महिला अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारियों सहित कलेक्टर को मामले की जानकारी दी और पुलिस ने भी देर केस दर्ज कर लिया।
इनका कहना है
पटेलनगर स्थित बालगृह से बालगृह की संचालिका एड. शैला अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है जबकि उसके पिता को गिरफ्तार करने का प्रयास किया जा रहा है।
संजय मिश्रा
कोतवाली टीआई
.... तो चलता रहा यौन शोषण का खेल
इस पूरे मामले का कभी खुलासा नहीं होता क्योंकि अब तक महिला सशिक्तकरण अधिकारी बच्चों से उनकी समस्याओं की जानकारी लेने आश्रम में ही जाया करती थीं, लेकिन वहां संचालिका व पिता की दहशत के चलते कुछ भी कहने से कतराते थे। बताया जाता है कि विभागीय अधिकारी को कुछ संदेह हुआ जिसके बाद पहली आश्रम की बजाय 6 बच्चिायों को कार्यालय बुलाया गया, इतना ही ग्वालियर महिला काउंसर भी आईं जिन्होंने जब तफ्सील से बच्चियों से बातचीत की तो वे फट पड़ी और आश्रम में हो रहे यौनाचार का विस्तार से खुलाया किया। यह सुनते ही काउंसर व महिला अधिकारी भी भौंचक रह गई और बच्चियों को कलेक्टर के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया, जहां कलेक्टर को भी बच्चों ने पीड़ा सुनाई और इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। इस तरह कह सकते हैं कि यदि महिला सशक्तिकरण अधिकारी आश्रम के बच्चों को कार्यालय नहीं बुलाती तो शायद यौन शोषण के इस खेल का कभी खुलासा ही नहीं हो पाता।
कलेक्टर ने लायसेंस निरस्त कराने के दिए निर्देश
आश्रम चल रहे यौन शोषण के इस मामले को कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने गंभीरता से लिया है और बुधवार को ही आश्रम का लायसेंस निरस्त करने के निर्देश महिला सशक्तिकरण अधिकारी को दिये। बताया जा रहा है कि इसके बाद महिला शक्तिकरण अधिकारी द्वारा आज प्रस्ताव बनाकर भोपाल वरिष्ठ कार्यालय को भेजा रहा है। यहां बता दें कि जिले में यह एक मात्र बालश्रम संचालित था जहां शासकीय फंडिंग के अलावा समाजसेवियों व लोगों द्वारा भी संचालन के लिए मोटा दान दिया जाता रहा है।
महिला संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट पर रात्रि में संचालिका व उसके प्रो. पिता पर पुलिस ने किया था केस दर्ज
शिवपुरी। शहर के पटेल नगर क्षेत्र में लंबे समय से संचालित बाल आश्रम में रहने वाली नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण, छेडख़ानी करने का गंभीर मामला सामने आया है यहां रहने वाली बच्चियों से संचालिका व उसके पिता यौन शोषण करते थे। इस बात का खुलासा बाल कल्याण समिति द्वारा की गई काउंसलिंग के दौरान हुआ। इस मामले में महिला संरक्षण अधिकारी महिला सशक्तिकरण सरिता शुक्ला की रिपोर्ट पर पुलिस ने बलात्कार, छेडख़ानी, पास्को एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। कोतवाली पुलिस ने जहां देर रात केस दर्ज किया था वहीं गुरूवार सुबह आरोपी संचालिका एड. शैला अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है जबकि उसके पिता सेवानिवृत्त प्रो. केएन अग्रवाल अभी फरार बने हुए हंै।
जानकारी के अनुसार शकुंतला परमार्थ समिति द्वारा पटेलनगर में एड. शैला अग्रवाल द्वारा एक बालगृह का संचालन किया जाता है। बालगृह में 23 बच्चे निवासरत हैं। महिला सशक्तिकरण कार्यालय से इस बालगृह को अनुदान दिया जाता है। बताया जाता है कि बाल संरक्षण अधिकारी महिला सशक्तिकरण सरिता शुक्ला द्वारा प्रति सप्ताह बालगृह का निरीक्षण किया जाता है और इस दौरान बालगृह में रहने बालक एवं बालिकाओं से उनकी समस्याओं के बारे में भी पूछताछ की जाती है। इस दौरान बालगृह का एक कर्मचारी संरक्षण अधिकारी के साथ रहता था। इस दौरान बालगृह में हो रही गतिविधियों पर संदेह हुआ। इसी के चलते कल बाल कल्याण समिति द्वारा काउंसलिंग कराई गई। इस दौरान 6 बालिकाओं को अपने कार्यालय बुलाया गया। इस दौरान विभाग द्वारा ग्वालियर से विशेष महिला काउंसर बुलाए गए थे। काउंसरों द्वारा ही काउंलिंग की गई। काउंसलिंग के दौरान बच्चियों ने बताया कि उनके साथ काफी समय से बालगृह संचालिका और उसके पिता द्वारा दुराचार किया जा रहा है। बच्चियों ने बताया कि उनके साथ मारपीट भी की जाती थी और धमकाया जाता था। उक्त खुलासे की सूचना विभाग के अधिकारियों ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से दी गई। बाल संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट पर कोतवाली पुलिस ने बालगृह संचालिका एवं उसके पिता पर भादवि की धारा 376, 354, 190, 323, 506,120 सहित 3,4,5,6,7,8,9,10 पीसीएसओ एक्ट के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया। विदित हो कि करीब एक डेढ़ माह पूर्व बालगृह से दो बालिकाएं भाग गई थीं। सूत्रों की मानें तो बालिकाओं द्वारा विभाग के अधिकारियों को बताया गया कि बालगृह में गलत काम होता है और हमारे साथ कोई गलत कार्य न हो इसलिए हम यहां से भाग गई थीं। उक्त मामले की आने बाद से विभाग द्वारा बालगृह की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया गया था।
बालगृह के बच्चों को छात्रावास में किया शिफ्ट
बालगृह में रहने वाली 6 नाबालिग बालिकाओं को महिला सशक्तिकरण अधिकारी द्वारा रात्रि में ही कमला गंज में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित छात्रावास में शिफ्ट करा दिया गया था। आज सुबह पुन: महिला सशक्तिकरण अधिकारी पुलिस के साथ पटेलनगर में स्थित बालगृह पर पहुंची जहां से शेष बच्चों को छात्रावास में पहुंचा दिया गया।
इस पूरे मामले में पुलिस व प्रशासन ने भी तत्परता का परिचय दिया है। बताया जाता है कि आश्रम में रहने वाली निराश्रित बच्चियों ने बुधवार महिला सशक्तिकरण कार्यालय में काउंसलिंग के दौरान बच्चियों के साथ हो रहे दुराचार व यौन शोषण की शिकायत महिला शक्तिकरण अधिकारी से की थी जिसे गंभीरता से लेते हुए महिला अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारियों सहित कलेक्टर को मामले की जानकारी दी और पुलिस ने भी देर केस दर्ज कर लिया।
इनका कहना है
पटेलनगर स्थित बालगृह से बालगृह की संचालिका एड. शैला अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है जबकि उसके पिता को गिरफ्तार करने का प्रयास किया जा रहा है।
संजय मिश्रा
कोतवाली टीआई
.... तो चलता रहा यौन शोषण का खेल
इस पूरे मामले का कभी खुलासा नहीं होता क्योंकि अब तक महिला सशिक्तकरण अधिकारी बच्चों से उनकी समस्याओं की जानकारी लेने आश्रम में ही जाया करती थीं, लेकिन वहां संचालिका व पिता की दहशत के चलते कुछ भी कहने से कतराते थे। बताया जाता है कि विभागीय अधिकारी को कुछ संदेह हुआ जिसके बाद पहली आश्रम की बजाय 6 बच्चिायों को कार्यालय बुलाया गया, इतना ही ग्वालियर महिला काउंसर भी आईं जिन्होंने जब तफ्सील से बच्चियों से बातचीत की तो वे फट पड़ी और आश्रम में हो रहे यौनाचार का विस्तार से खुलाया किया। यह सुनते ही काउंसर व महिला अधिकारी भी भौंचक रह गई और बच्चियों को कलेक्टर के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया, जहां कलेक्टर को भी बच्चों ने पीड़ा सुनाई और इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। इस तरह कह सकते हैं कि यदि महिला सशक्तिकरण अधिकारी आश्रम के बच्चों को कार्यालय नहीं बुलाती तो शायद यौन शोषण के इस खेल का कभी खुलासा ही नहीं हो पाता।
कलेक्टर ने लायसेंस निरस्त कराने के दिए निर्देश
आश्रम चल रहे यौन शोषण के इस मामले को कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने गंभीरता से लिया है और बुधवार को ही आश्रम का लायसेंस निरस्त करने के निर्देश महिला सशक्तिकरण अधिकारी को दिये। बताया जा रहा है कि इसके बाद महिला शक्तिकरण अधिकारी द्वारा आज प्रस्ताव बनाकर भोपाल वरिष्ठ कार्यालय को भेजा रहा है। यहां बता दें कि जिले में यह एक मात्र बालश्रम संचालित था जहां शासकीय फंडिंग के अलावा समाजसेवियों व लोगों द्वारा भी संचालन के लिए मोटा दान दिया जाता रहा है।
COMMENTS