रोगों के प्रतिकार के लिए निजी और सामुदायिक स्वच्छता, सस्ता और प्रभावी उपाय : उपराष्ट्रपति द्वारा स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, समर्थ भारत का ...
रोगों के प्रतिकार के लिए निजी और सामुदायिक स्वच्छता, सस्ता और प्रभावी उपाय : उपराष्ट्रपति द्वारा स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, समर्थ भारत का आहृवाहन
PM by PIB Delhi
पेयजल तथा स्वच्छता विभाग द्वारा ललखटंगा पंचायत, रांची मे आयोजित ‘स्वच्छता ही सेवा - 2018’ तहत जनसंवाद-सह-जागरूकता कार्यक्रम में बोलते हुए भारत के माननीय उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने कहा कि स्वच्छ जनानांदोलन, एक कृतज्ञ राष्ट्र की अपने आदर्श पुरुष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि “गांधी जी ने स्वच्छता को शुभता और ऐश्वर्य का पर्याय माना। एक समाज सुधारक के रूप में, गांधी जी का मानना था स्वच्छता राजनैतिक आजादी से महत्वपूर्ण है”। उक्त अवसर पर झारखंड की राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, राज्य क मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास समेत सांसदगण, विधायकगण एवं पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि “प्रतिवर्ष 5 करोड़ लोग महंगे उपचार के चलते गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। आयुष्मान भारत इन परिवारों को वस्तुत: आयुष्मान बनाने की दिशा में सफल कदम है।”
उन्होंने कहा कि “रोग के उपचार से बढ़कर रोग का प्रतिकार, स्वास्थ्य की अधिक प्रभावी गारंटी है। रोगों के प्रतिकार के लिये सामुदायिक और निजी स्वच्छता, शुचिता, सस्ता और प्रभावी माध्यम है।”
यूनीसैफ के अध्ययन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “स्वच्छता और शुचिता से एक परिवार प्रतिवर्ष उपचार आदि पर होने वाले रू. 50,000 के खर्च की बचत कर सकता है। भारत में ही प्रतिवर्ष 1 लाख बच्चे अस्वच्छता के कारण डायरिया जैसी बीमारी के शिकार हो जाते है।”
समाज मलिनता की जो कीमत चुकाता है उसका जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने विश्व बैंक के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि “विश्व बैंक के अध्ययन के अनुसार मलिनता के कारण प्रतिवर्ष 6% की दर से हमारी विकास दर प्रभावित होती है।”
उपराष्ट्रपति ने संतोष व्यक्त किया कि “स्वच्छ भारत आह्वाहन को अंगीकार कर जनआंदोलन का स्वरूप दिया है। सामुदायिक स्वच्छता सिर्फ सरकारी प्रोग्राम से नहीं प्राप्त की जा सकती। इसे जनआंदोलन के रूप में जनस्वीकार्यता मिली है।”
उपराष्ट्रपति ने आहृवाहन किया कि “यदि हममें से प्रत्येक यह संकल्प ले कि अपने घर, कार्यालय, पार्कों या सार्वजनिक स्थानों पर बिखरे प्लास्टिक के कुछ ही थैलों को कुड़ेदान में डालेगा, तो आप पायेगें कि आपका यह छोटा सा कार्य ही प्रेरणा बनकर, शनै: शनै: समाज में सामुदायिक स्वच्छता का संस्कार बन जायेगा।”
एशियन डेवेलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) द्वारा झारखंड में किये गये अध्य्यन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा “महिला समूहों में सामुदायिक और निजी शुचिता के प्रति जागरूकता और आग्रह बढ़ा है। महिलायें अपने परिवारों में भी शुचिता को लेकर जागरूक हुई हैं। गत वर्षों में दस्त के मामलों में 23% और अनीमिया के मामलों में 10% की कमी आयी है। ये निष्कर्ष भविष्य के प्रति आशान्वित करते हैं।”
शौचालयों के रखरखाव के विषय में उपराष्ट्रपति ने कहा “शौचालयों का रखरखाव, मरम्मत और गुणवत्ता इस जन आंदोलन की स्थायी सफलता के लिये आवश्यक है। ऐसी शिकायतें मिली हैं कि शौचालय सिर्फ सरकारी कागज़ों पर ही है वास्तविकता में नहीं। इस संशय को दूर करने के लिये नवनिर्मित शौचालयों की Geo-tagging की जा रही है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा “ODF घोषित होने के लिये पानी की नियमित आपूर्ति आवश्यक शर्त होनी चाहिये। स्थानीय निकाय सतत जनजागरूकता अभियान चलायें। लोगों को शौचालय का प्रयोग करने के लिये प्रेरित करें। ODF घोषित करने से पूर्व किसी स्वतंत्र एजेंसी से भी निरीक्षण करवाना श्रेयस्कर होगा।”
मनुष्य द्वारा मल उठाने की कुप्रथा पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा “इस अमानवीय प्रथा को तत्काल समाप्त होना ही चाहिये। कानून होते हुए भी इस प्रथा का जारी रहना हमारे समाज की नैतिकता और कानून के प्रति शासन की प्रतिबद्धता पर प्रश्न खड़े करता है। नाली साफ करने वाले सफाई कर्मियों की मृत्यु, हमारे सभ्य होने पर संशय पैदा करती है।”
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने महिला सहायता समूहों से मिल कर स्वच्छता जन आंदोलन के अंतर्गत किये गये सामुदायिक कार्यों की जानकारी भी ली।
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