मध्य प्रदेष में बड़े मतदान का निश्कर्श ?

                      मध्य प्रदेष में बड़े मतदान का निश्कर्श ?                                                                      प्रमोद ...

                      मध्य प्रदेष में बड़े मतदान का निश्कर्श ?
                                                                     प्रमोद भार्गव




मध्य प्रदेष में मतदान के बड़े प्रतिषत ने इस बार अब तक के सारे मापदण्ड ध्वस्त कर दिए हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 6 प्रतिषत से ज्यादा मतदान हुआ है। इसे मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चौहान की उदार कार्यषैली का परिणाम कहा जाए या उनकी सरकार के विरुद्ध एंटी-इन्कंबेंसी, इसकी वास्तविकता तो 11 दिसंबर को चुनाव नतीजे सामने आने के बाद पता लगेगी। बावजूद मतों में जो उछाल देखने में आया है, वह आखिर में सरकार के प्रति असंतोश का पर्याय ही लग रहा है, क्योंकि चुनाव विष्लेशक भले ही कह रहे हों कि मतदाता मौन हैं, लेकिन ओपोनियन पोल में जिस तरह से कांग्रेस की बढ़त दिखाई जा रही है, उससे इस बात की पुश्टि होती है कि मतदाता खामोष नहीं है। 2003 में जब प्रदेष में दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार वजूद में थी, तब भी कुछ इसी तरह का उछाल दिखा था। दरअसल इस बार षिवराज सरकार के विरुद्ध जो नाराजी है, वह उनके कार्यों से कहीं ज्यादा केंद्र सरकार की कार्ययोजनाओं के प्रति है। जिसका सीधा-सीधा फायदा कांग्रेस को मिलता दिख रहा है। हालांकि इस बार मतदान पर्ची की जो सुविधा निर्वाचन आयोग द्वारा प्रत्येक मतदाता को मिली हैं, वह भी  मत प्रतिषत बढ़ने का कारण रही है। इस बार वीवी पेट की सुविधा से मतदान में पारदर्षिता उजागर होने के साथ, ईवीएम से वोट डालने के प्रति विष्वास भी कायम हुआ है। इसलिए परिणाम जो भी निकलें, ईवीएम पर संदेह जताना मुष्किल होगा ? अब तक सत्तारूढ़ दल के खिलाफ व्यक्गित असंतुश्टि और व्यापक असंतोश के रूप में बड़ा मत प्रतिषत देखा जाता रहा है, लेकिन मतदाता में आई जागरूकता ने परिदृष्य बदला है, इसलिए इसे केवल नकारात्मकता की तराजू पर तौलना राजनीतिक प्रेक्षकों की भूल है। इसे सकारात्मक दृश्टि से भी देखने की जरूरत है। क्योंकि मतदान के जरिए सत्ता परिवर्तन का जो उपाय मतदाता की मुट्ठी में है, वह लोकतांत्रिक संवैधानिक व्यवस्था का परिणाम है, इसलिए नाकारात्मक रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
मतदान के बड़े प्रतिषत के बावजूद मतदाता को मौन माना जा रहा था, लेकिन मतदाता मौन कतई नहीं था। मौन होता तो चैनल ओपोनियन पोल के लिए कैसे सर्वे कर पाते ? हां, उसने खुलकर किसी भी राज्य सरकार को न तो अच्छा कहा और न ही उसके कामकाज के प्रति मुखरता से नाराजगी जताई। मतदाता की यह मानसिता, उसके परिपक्व होने का पर्याय है। वह समझदार हो गया है। अपनी खुषी अथवा कटुता प्रकट करके वह किसी दल विषेश से बुराई मोल लेना नहीं चाहता। अलबत्ता अभिव्यक्ति की स्वतंत्र व जीवंत माध्यम बनी सोषल साइट्रस पर जरूर मतदाताओं ने न केवल दलीय आधार पर अपनी रुचि दिखाई, बल्कि मौजूदा प्रतिनिधियों के प्रति खुषी अथवा नखुषी जाहिर की। यही नहीं जागरूक मतदाता स्थानीय, क्षेत्रीय और राश्ट्रीय मुद्दे उछालकर आभासी मित्रों की राय जानने की कोष्षि में लगे रहकर सही  प्रत्याषी के प्रति माहौल बनाने के काम में लगे रहे। मानसिक रूप से परिपक्व हुए मतदाता की यही पहचान है।
पारंपरिक नजरीए से मतदान में बड़ी रूचि को सामान्यतः एंटी-इन्कंबेंसी का संकेत, मसलन मौजूदा सरकार के विपरीत चली लहर माना जाता है। इसे प्रमाणित करने के लिए 1971,1977 और 1980-2014 के आम चुनाव में हुए ज्यादा मतदान के उदाहरण दिए जाते है। लेकिन यह धारणा पिछले कुछ चुनावों में बदली है। 2010 के चुनाव में बिहार में मतदान प्रतिषत बढ़कर 52 हो गया था, लेकिन नीतीष कुमार की ही वापिसी हुई। जबकि पष्चिमी बंगाल में ऐतिहासिक मतदान 84 फीसदी हुआ और मतदाताओं ने 34 साल पुरानी मार्क्सवादी कम्युनिश्ट पार्टी की बुद्धदेव भट्रटाचार्य की सरकार को परास्त कर, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को जीत दिलाई। गोया लगता है मतदाता पारंपरिक जड़ता और प्रचालित समीकरण तोड़ने पर आमदा हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 67 सीटें जीता कर मतदाता ने साफ कर दिया था कि वह भ्रश्टाचार मुक्त षासन और मंहगाई से मुक्ति चाहता है। लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को पूरी होना देखना चाहता है। षिवराज सरकार की जो सबसे बड़ी खामी देखने में आ रही है, वह एक तो नौकरषाहों के भ्रश्ट रवैये पर अंकुष लगाने में पूरी तरह नाकाम रहे, दूसरे उन्होंने तोहफों के रूप में लालच देकर और विज्ञापनों से अपनी सरकार की स्वच्छ छवि का माहौल बनाकर मतदाता को बरगलाने की कोषिष की, जिसमें इस बार वे पिछड़ते दिख रहे हैं। इससे इतर केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार की जीएसटी और नोटबंदी जैसी योजनाओं को थोपने से जहां, भाजपा का परंपरागत वैष्य समाज नाराज हुआ, वहीं एससी-एसटी-एक्ट में जो संषोधन किया गया, उससे सवर्ण मतदाता भी नाराज हुआ। इसके नतीजतन ही एकाएक सवाक्स पार्टी ने उदय होकर भाजपा की कमर तोड़ दी। ये स्थितियां अप्रैल-मई 2019 में होने वाले आम चुनाव में भी कायम रहेंगी।
इस चुनाव में वैसे तो ग्रामीण और नागरीय क्षेत्रों में लगभग बराबर मतदान हुआ है, लेकिन किसानों ने जिस उत्साह से मतदान किया है, उससे लगता है कि उनका वोट साबित होगा। कांग्रेस ने वचन-पत्र में किसानों के 2 लाख तक के कर्ज 10 दिन के भीतर खेलने का बड़ा दांव चला हैं। हालांकि इसकी काट के लिए भाजपा ने लघु व सीमांत किसानों को कृशि भूमि के रक्बे के आधार पर बोनस देने और फसलीय कर्ज 40,000 करोड़ रुपए करने का वादा किया, लेकिन यह ऋणमाफी का तोड़ नहीं बन पाया। किसानों से प्याज खरीदी और भावांतर योजना से भी किसान को ज्यादा लाभ नहीं मिला। इस योजना के तहत बड़ी संख्या में अब तक किसानों को भुगतान भी नहीं हुआ है। किसानों के साथ यह व्यवहार तब है, जब प्रदेष सरकार पिछली 5 बार से लगातार कृशि कर्मण सम्मान ले रही हैं। रिकार्ड फसल उत्पादन के बाद भी किसान आत्महत्या कर रहा है। इस विडंबना के चलते 2016 में 599 किसानों ने आत्महत्या की, वहीं 2017 में यह आंकड़ा बढ़कर 850 हो गया। साफ है, कृशि लाभदायी धंधा तमाम वायदों के बावजूद अत तक नहीं बन पाई है। मंदसौर में किसान अंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा चलाई गई गोली में छह किसानों की मौत भी किसान नराजगी का बड़ा व व्यापक कारण बना, जिसके नतीजतन किसानों ने मतदान में बढ़-चढ़कर भागीदारी की। इस सब के बावजूद जनता ने वोट कांग्रेस को नहीं, बल्कि षिवराज सरकार के खिलाफ दिया है। भाजपा के स्थानीय नेता और नौकरषाहों के बीच जो गठजोड़ बना हुआ है, वह भी मतदाता की नाराजी का कारण रहा है।
बावजूद मत प्रतिषत का सबसे अह्म, सुखद व सकारात्मक पहलू है कि यह अनिवार्य मतदान की जरूरत की पूर्ति कर रहा है। हालांकि फिलहाल हमारे देष में अनिवार्य मतदान की संवैधानिक बाध्यता नहीं है। मेरी सोच के मुताबिक ज्यादा मतदान की जो बड़ी खूबी है, वह है कि अब अल्पसंख्यक व जातीय समूहों को वोट बैंक की लाचारगी से छुटकारा मिल रहा है। इससे कालातंर में राजनीतिक दलों को भी तुश्टिकरण की मजबूरी से मुक्ति मिलेगी। क्योंकि जब मतदान प्रतिषत 75 से 85 होने लगता हैं, तो किसी धर्म, जाति, भाशा या क्षेत्र विषेश से जुड़े मतदाताओं की अहमियत कम हो जाती है।  नतीजतन उनका संख्याबल जीत या हार को गारंटी नहीं रह जाता। लिहाजा सांप्रदायिक व जातीय आधार पर ध््राुवीकरण की राजनीति नगण्य हो जाती है। कालांतर में यह स्थिति मतदाता को धन व षराब के लालच से मुक्त कर देगी। क्योंकि कोई प्रत्याषी छोटे मतदाता समूहों को तो लालच का चुग्गा डालकर बरगला सकता है, लेकिन संख्यात्मक दृश्टि से बड़े समूहों को लुभाना मुष्किल होगा ?

प्रमोद भार्गव
शब्दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी
शिवपुरी म.प्र.
मो. 09425488224,09981061100

लेखक, साहित्यकार एवं वरिष्ठ पत्रकार है।

COMMENTS

नाम

अतुल का पन्ना,15,आज की मुख्य खबरें,114,आज क्या खास,20,खबरें आयुर्वेद संसार से,3,खबरें कृषि जगत से,16,खबरें खेल जगत से,17,खबरें जादुई दुनिया से,25,खबरें ज्योतिष जगत से,4,खबरें दुनिया भर की,11,खबरें देश भर की,101,खबरें धर्म जगत से,11,खबरें प्रॉपर्टी जगत से,1,खबरें फैशन की दुनिया से,2,खबरें मनोरंजन दुनिया से,22,खबरें यात्रा जगत से,3,खबरें राज्य भर की,120,खबरें रोजगार जगत से,8,खबरें वाहन जगत से,2,खबरें व्यापार जगत से,6,खबरों में जायका,2,खबरों में जीवनशैली,7,फोटो गैलरी,5,बड़ी खबरें,9,मौसम की खबरें,2,लेख-आलेख/साहित्य,47,विज्ञापन की दुनिया,9,Netcook के सहयोगी,1,
ltr
item
"कविता" हिंदी ,साहित्य ,संवाद ,कहानी ,,लेख आलेख NETCOOK NEWS: मध्य प्रदेष में बड़े मतदान का निश्कर्श ?
मध्य प्रदेष में बड़े मतदान का निश्कर्श ?
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjqYNXhZidoE-J6zVqiIoEnx9Fv3V85IoTDxW74BjgjuLz6OZa1J8FlSAPMsyJmoOtG1VXyWBpKSHoAlaiAk2EgkdLWR6EskQMtKBFTeQuongDnILfYi-MFtDvSpeHoidZjdJMAwjZaF1SF/s1600/pramod+bhargava.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjqYNXhZidoE-J6zVqiIoEnx9Fv3V85IoTDxW74BjgjuLz6OZa1J8FlSAPMsyJmoOtG1VXyWBpKSHoAlaiAk2EgkdLWR6EskQMtKBFTeQuongDnILfYi-MFtDvSpeHoidZjdJMAwjZaF1SF/s72-c/pramod+bhargava.jpg
"कविता" हिंदी ,साहित्य ,संवाद ,कहानी ,,लेख आलेख NETCOOK NEWS
http://www.netcooknews.com/2018/12/blog-post_5.html
http://www.netcooknews.com/
http://www.netcooknews.com/
http://www.netcooknews.com/2018/12/blog-post_5.html
true
4771959473874979329
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy