नगर प्रशासन हरकत में आता उससे पहले बादलों ने अपनी हरकत शुरू कर दी, 18 जून और 19 जून को मौसम विभाग के अनुसार बारिश होना तय थी लेकिन झमा-झम...
नगर प्रशासन हरकत में आता उससे पहले बादलों ने अपनी हरकत शुरू कर दी, 18 जून और 19 जून को मौसम विभाग के अनुसार बारिश होना तय थी लेकिन झमा-झमा इस हद तक होगी ये किसी को अहसास नहीं था। शहर में सुबह से हो रही वारिश ने मौसम को न केवल रंगीन बनाया है बल्कि शहर को उसकी असली पहचान तक पहुचाने की कोशिश भी की है बताना जरूरी है कि शहर को मिनी शिमला कहा जाता है और आज नजरा कुछ वैसा ही है लेकिन इस मिनी शिमला को नगर प्रशासन और जन नुमाइदों ने ग्रहण लगाने की भी भरसक कोशिश की है। हालात ये है कि संडांध मारते नाले और जगह जगह भरता पानी उस नगर प्रशासन की कलई खोलता है जिस पर शहर की साफ-सफाई का दरोमदार है। देश का प्रधानमंत्री साफ-सफाई को लेकर हर मंच पर तब्बजो देता है फिर भी हम जैसे पत्रकारों को अपनी कलम से ऐसी खबरें देने पर मजबूर होना पडें तो इससे ज्यादा खराब हालात कहाॅं कहियेगा, दसतूर बदले न बदले शहर का नगर प्रशासन मुर्गे की डेढी टांग जैसा ही नजर आता है। इस मसले पर हमारी संबादाता शोभना फालके ने न केवल शहर का जायजा लिया बल्कि नगर प्रशासन से जुडें अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से बातचीत भी की। शोभना फालके ने बताया कि हालात बद से बत्तर है और सुद लेने वाला कोई नहीं उन्होंने नगर प्रशासन से जुडें लोगों से बात-चीत की और पूछा की आखिर क्या कारण है कि शहर के हालात इतने दयनीय है। जबकि नगर प्रशासन अकेले नालो की सफाई को लेकर अच्छा खासा बजट पारित करती है दरअसल इसमें भी झोल है नालों कि सफाई कब हुयी कितना पैसा लगा और किसने बिल बनाया किसने पास किया ये उस कहावत को चरित्रार्थ करता है जैसे- कथरी ओढ कर जैसे कोई घी पीता है। नगर प्रशासन की इस अनदेखी का सबब ये बनता है कि कई मिट्रीक टन कचरा और वो पोलीथीन जो हमारे और आपके अलावा जल जीवों पर दुष्प्रभाव डालता है वह वारिश के दौरान नालों में बहकर शहर की एक मात्र बची माधव लेक में जा समाता है जानकार बताते है कि जिस झील की गहराई कई हाथी डूब्बा थी वह आज हाथों में नापी जा सकती है। हालात कब सुधरेगें कब जन चेतना होगी कब ये जिम्मेदारी निभायेगें और आखिर कब जन प्रतिनिधि वास्तविक जनप्रतिनिधि बनने का अपना कर्तव्य निभाते हुये नजर आयेगें। दरअसल इस पूरे मामले में गर जनप्रतिनिधियों या प्रशासनिक अधिकारियोें को शत प्रतिशत दोषी ठहराया जाये तो यह गलत होगा सच्चाई यह है कि जब तक हम खुद नहीं जागेगें तब तक हमारी गाडी कमाई पर ये नेता और अधिकारी बंदर-बाॅंट करते रहेगें। अशोक विहार टी0व्ही0 टाॅवर क्षेत्र से नेटकुक संबादाता शोभना फालके की रिपोर्ट।
COMMENTS