आपके शहर की वो खबर जो अब तक आपको नहीं पता एक ऐसा गांव इस गांव से एक भी शहादत नहीं हुई, लेकिन देश भक्ति का जज्बा ऐसा कि गांव से होकर जितनी ...
आपके शहर की वो खबर जो अब तक आपको नहीं पता एक ऐसा गांव इस गांव से एक भी शहादत नहीं हुई, लेकिन देश भक्ति का जज्बा ऐसा कि गांव से होकर जितनी सड़कें गुजरीं उन सड़कों के नाम शहीदों के नाम पर ही रख दिए, देश के पहले आदिवासी और दलित शहीदों के नाम पर भी यहां सड़क बनी है।
दीपेंद्र सिहं चौहान
deependraabhay@gmail.com। शिवपुरी से महज 10 किमी दूर माधव नेशनल पार्क की गोद में बसा एक गांव, हातौद जिसकी पहचान आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता संग्राम सैनानी स्वर्गीय कर्नल ढिल्लन के नाम पर है। इस गांव की की कुल आबादी महज 2200 के आसपास ही है। लेकिन देश भक्ति का जज्बा ऐसा कूट-कूट कर भरा है कि गांव की छोटी-से छोटी पग डंडी और सड़कें शहीदों के नाम पर रख दी हैं। यहां हर मोड़ पर जहां भी गांव के इंटरनल रोड बने हैं वहां की सड़कों के नाम ईतिहास में शहीद हुए शहीदों के नाम पर ही रखे गए हैं। खास बात ये है कि सड़कों में इस बात का ध्यान रखा गया है कि इसमें हर जाति,धर्म के शहीदों को जगह मिल सके। ये जज्बा भी उस स्थिति में है जब इस गांव से एक अब तक कोई भी व्यक्ति शहीद नहीं हुआ है।
जानिए बांके चमार के बारे में।
ये उप्र के जोनपुर गांव के रहने वाले थे। सन्1857 की क्रांती में इनका योगदान मुख्य था। जिस जमाने में एक आना-दो आने की कीमत हुआ करती थी, उस जमाने में अंग्रेजों ने इन्हें पकड़ने के लिए 50 हजार रुपए का ईनाम रखा था। इसी लालच में आकर इनके एक साथी ने इन्हें पकड़वा दिया और अंग्रेजों ने फांसी देदी। इन्हीं के नाम पर सड़क का नाम पड़ा है।
सड़क नं 04- जंगल सराय मार्ग। ये सड़क ग्रुप केप्टन चरणजीत सिंह के नाम पर बनी है। 1971 की भरत पाकिस्तान की लड़ाई में इनका अहम रोल था। यहां इस पंचायत में एक जंगल सफारी होटल् भी बना है। यहां इस होटल् पर जाने के लिए जिस सड़क का उपयोग किया जाता है
सड़क नंबर 06: इस सड़क का नामकरण देश के पहले आदिवासी शहीद बाबा तिल्खा मांझी के नाम पर किया गया है। ये देश के पहले आदिवासी शहीद थे। 1857 की क्रांती से भी 100 साल पहले ये शहीद हुए थे।
इस गांव में पहले ही आजाद हिंद फौज के सिपाही और स्वतंत्रता संग्राम सैनानी कर्नल ढिल्लन का पार्क बना है। इस गांव को हातौद के नाम से जाना है। कर्नल ढिल्लन के परिजन आज भी इस गांव में निवास करते हैं। सरकार की ओर से इस गांव में समय-समय पर सरकारी कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
ये हैं गांव का जनसंख्या घनत्व
2100 के करीब कुल आबादी
सिक्ख धर्म 40 प्रतिशत के आसपास
40 प्रतिशत आदिवासी ,20 प्रतिशत में गुर्जर, ,जाटव एवं अन्य समाज निवास करता है।
2100 के करीब कुल आबादी
सिक्ख धर्म 40 प्रतिशत के आसपास
40 प्रतिशत आदिवासी ,20 प्रतिशत में गुर्जर, ,जाटव एवं अन्य समाज निवास करता है।
इस गांव में सड़कों के नाम अन्य सभी समाजों के शहीदों के नाम पर इसलिए रखे गए हैं क्यों कि ये वो शहीद हैं जो पिछड़ी जातियों से थे लेकिन इनका काम इन्हें बहुत आगे ले गया। इन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं लेकिन हमारे गांव में आदिवासी भी हैं गुर्जर भी और सरदार भी इसलिए हमने समरसता रखने की कोशिश की है।
श्रीमति परवीन मेहरोत्रा,ग्राम सरपंच, गा्रम पंचायत हातौद
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