भारत का असली करोडपति कौन.....? ...
भारत का असली करोडपति कौन.....?
लेखक अतुल गौड़ संपादक netcooknewscom
यूं तो देशभर दुनिया भर में बहुत सारे लखपति करोड़पति अरबपति है लेकिन दिल से जो अरबपति करोड़पति है उनमें से चंद नाम निकल कर आते हैं भारत में रहने वाले एक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने अपनी अर्धांगिनी के साथ मिलकर एक ऐसा संकल्प लिया जिस संकल्प को लेना और उस पर चलना और डटे रहना बहुत कठिन होता है, और वही असली करोड़पति हैं जिन्होंने यह संकल्प न केवल लिया बल्कि उस संकल्प को लेकर बढ़ते चले जा रहे हैं और उस पर डटे हुए हैं,
कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले कार्यक्रम कर्मवीर में इसी 25 अक्टूबर को शामिल हुए एक ऐसे कर्मवीर से हम आज का आपका परिचय करा रहे हैं जिनकी क्रम वीरता देखकर आप हतप्रभ रह जाएंगे जिनका समर्पण देखकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे और जिनका त्याग बलिदान देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे, इस शख्सियत का नाम है डॉ माधुरी भारद्वाज और उनके जीवन साथी डॉ ब्रजमोहन भारद्वाज जब कभी उन्हें एक ख्याल आया या उनको कोई सेवा भाव आया तो उन्होंने एक मंदबुद्धि और मनोरोगी को देखा उसकी पीड़ा समझी और उसकी सेवा भाव के साथ उसे वह अपने साथ घर ले आए सेवा की उसमें सुधार आया और उसकी जीवनशैली बदली,,
यहीं से लगन लग गई और उन्होंने तय कर लिया कि हम पति-पत्नी अपना स्वयं बच्चा पैदा नहीं करेंगे आज से इन्हीं लोगों की सेवा करेंगे और इस सेवा भाव को निरंतर बनाए रखेंगे यह कर्मवीर और इनकी कर्म वीरता सिद्ध करती है कि इन्होंने उस छोटी-सी शुरूआत से लेकर आज तक करीब 32 ऐसे आश्रम बनाए हैं जहां मनो रोगियों मंदबुद्धि डिप्ररशन से शिकार लोगों और अपनों से दुखाए गए लोगों को शरण मिलती है कौन बनेगा करोड़पति के होस्ट अमिताभ बच्चन भी जब इन से मिले तो हतप्रभ रह गए सोचने लगे समझने लगे उनका समर्पण क्या है इनका भाव क्या है और इनकी वर्तमान स्थिति क्या है
यही असली करोड़पति है जिन्होंने करोड़ों दिलों में जगह बनाई है और लाखों लोगों में उमंग जगाने के साथ उन हजारों लोगों की सेवा का संकल्प लिया है जो इनके आश्रम में शरणार्थी हैं मानसिक बीमार है दुनिया से ठुकराए हुए हम भी अक्सर कुछ ऐसे लोगों को देखते हैं तो देखकर निगाह पलट लेते हैं या यह सोचते हैं कि यह तो पागल है लेकिन डॉक्टर दंपति ने ऐसा नहीं किया उन्होंने सेवा का संकल्प लिया और ऐसे लोगों को अपने घर लाकर शुरुआत की और आज कारवां इतना लंबा हो गया कि देश के कई शहरों में ऐसे आश्रम बने हैं अगर आपको भी कोई मिलता है इस तरह का पीड़ित तो आप कुछ करें या ना करें संस्था को दान दे या ना दे लेकिन ऐसे पीड़ितों को इन आश्रमों तक जरूर पहुंचाने का काम करें इस दंपत्ति के इस समर्पण के पीछे मेरी लिखी एक कविता मुझे याद आती है जो मैंने अपने किसी दोस्त को समर्पित की है उसमें भी भाव प्रेम का है और डॉक्टर दंपति का इन मंदबुद्धियों मनु रोगियों के प्रति जो प्रेम है वह भी कहीं ना कहीं इसी रूप में प्रकट होता है वह कुछ इस तरह है
मैंने ख्वाब सजाया है रंग हजार है उसमें गुलजार भी खुशबू भी कुछ एहसास भी है और कुछ कमी भी बस तू अपना एक रंग मेरे ख्वाब में सजा दे रंग जो मेरे हजार हैं उन्हें कई हजार बना दे,, मैंने ख्वाब सजाया है बस तू उसे हकीकत बना दे ,,इस रास्ते में खड़ा हूं उस रास्ते तू आ मंजिल की तरफ बड़े ले बस तू बस तू मेरे रास्ते चल ले ,, अल्फाज नहीं मेरे पास न किसी की सौगंध है एक गुजारिश है मेरी मोहब्बत की बस तू मेरी इल्तजा कबूल कर ले,, मेरे जीने की वजह बन जा तू मुझे तेरे दामन में खुशियां भरने की बस इजाजत दे दे,,, ख्वाब सजाया है मैंने उस ख्वाब में आने की हामी भर दे,, बातें बड़ी नहीं करता मैं जीवन में खड़ा रहकर पीछे देखना भी नहीं चाहता,, बस तू मुझे एक नई इबारत लिखने की कलम दे दे,,, प्यार, एहसास,परवाह,और समर्पण से तेरी खोई हुई खुशियों को तुझ तक अदा कर सकूं बस मुझे वही एक हक अदा कर दे ,,,,एक ख्वाब सजाया है मैंने........
डॉ माधुरी व व्रज जी भारद्वाज
इस दंपति के मन में आया दोनों ने अपने दिल से इसी तरह की इजाजत एक दूसरे से मांगी और साथ चलने का संकल्प ले डाला साथ हो तो ऐसा ही हो और प्रेम हो तो कुछ इस तरह का ही हो इस दंपत्ति ने ना केवल अपने जीवन को समर्पित कर दिया बल्कि मोहब्बत का एक नया नाम भी हम सब दुनिया वालों के सामने रख दिया
इनके लिए जितने शब्द कहे जाएं वह सब कम पड़ते हैं इनकी तपस्या को जितना सराह जाए उतना कम महसूस होता है जाने क्यों ऐसी शख्सियत से बार-बार मिलने का दिल करता है यह दंपत्ति जिन से मोहब्बत करते हैं उन्हें प्रेम से प्रभु जी पुकारते हैं बहुत आदर करते हैं सम्मान से उनके जीवन को संवारने का काम करते हैं और अब तो उनके काम को दुनिया मानती है सराहती है
इस दंपत्ति ने जिन्होंने यह कारनामा आज से कुछ सालों में ही ऐसा कर दिया कि अब इस कारनामे को कई और लोगों ने भी अपना संकल्प मान लिया इस महान दंपत्ति का नाम है डॉ माधुरी जी भारद्वाज उनकी जीवनसाथी डॉ ब्रजमोहन जी भारद्वाज सबसे पहले उन्होंने भारतपुर राजस्थान से इस सेवा का संकल्प लिया और वहीं से इसकी शुरुआत की यह दंपत्ति कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले कार्यक्रम कर्मवीर में इसी 25 अक्टूबर को आमंत्रित किए गए थे
सारी दुनिया इनको देखकर हतप्रभ थी खुद होस्ट अमिताभ बच्चन भी बेचैन थे और और समझ पा रहे थे इनकी लगन इनकी तपस्या और इनके समर्पण को ऐसे महान दंपत्ति को हर कोई नतमस्तक होकर सलाम करना चाहता है दरअसल इनकी तारीफ में अल्फाज ढूंढे नहीं जाते बस दिल से निकल जाते हैं भरतपुर से जो इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई वहां अपना घर आश्रम बनाया गया और वहां पर एक या दो या तीन प्रभु जिओ से शुरुआत हुई
आश्रम अजमेर पहुंचा अजमेर से कोटा कोटा से अलवर अलवर से पुट खुर्द दिल्ली पहुंचा बीकानेर गया और कोकिलावन उत्तर प्रदेश में जा पहुंचा जोधपुर राजस्थान में आया बढ़पुर दिल्ली और फिर श्री गंगानगर राजस्थान से इसकी शुरुआत हुई शामली उत्तर प्रदेश पाली राजस्थान अपना घर आश्रम नोखा बीकानेर राजस्थान में स्थापित किया गया जबकि अपना घर आश्रम वृद्धाश्रम बीकानेर में ही बनाया गया अपना घर आश्रम मूक बधिर विद्यालय अजमेर में खोला गया अपना घर आश्रम हिंडौन राजस्थान में कुल आ गया अपना घर आश्रम बस्ती राजस्थान में खोला गया हाथरस उत्तर प्रदेश में गया गोवर्धन उत्तर प्रदेश में गया फिर अपना घर आश्रम हमारे शिवपुरी जिले में भी आया और शिवपुरी जिले में इसकी शुरुआत दुबे नर्सरी से लगी हुई जमीन पर एक छोटी सी और अल्प व्यवस्थाओं के बीच में की गई इसके बाद इसकी शुरुआत फिरोजाबाद डबरा पुरुलिया शुक्रताल वाराणसी मेरठ भिवानी नेपाल उनता भोपाल कोलकाता और पिलखुआ में बनाया गया एक संस्था है जिस संस्था को इस दंपत्ति ने शुरू किया संस्था का नाम है मां माधुरी ब्रिज बारिश सेवा सदन अपना घर संस्था लक्ष्य है पीड़ित मानव सेवा का पावन तीर्थ करना संस्था पूरी तरह से रजिस्टर्ड है इसकी स्थापना 29 जून 2000 को की गयी है
इसकी जॉब वेबसाइट है वह है अपना घर आश्रम डॉट ओआरजी और अपना घर आश्रम डॉट ओआरजी डॉट कॉम यह तो बात हुई इस दंपत्ति के लिए गए संकल्प की और इनके परिचय की जो आज कहीं से कहीं तक भी किसी का मोहताज नहीं है शिवपुरी जिले में जब इसकी शुरुआत हुई तो शिवपुरी जिले में शुरुआत होने के साथ-साथ व्यवस्थाओं का टोटा था जमीन की कमी थी और ऐसे प्रभु जीओ की संख्या लगातार देखी जा रही थी कुछ लोग आगे आए जिनमें से एक गौरव जैन नाम के शख्स हैं जिन्होंने भरतपुर में जाकर इस संस्था के साथ काम किया और वहां से सेवा भाव लेकर इसकी स्थापना शिवपुरी में की जब कोई शख्स शुरुआत करता है तो कठिनाइयां यकीनन आती हैं और उन कठिनाइयों का सामना इस शख्स गौरव जैन ने भी बखूबी किया फिर एक ऐसा हाथ सामने आया जिसने गौरव जैन की तरफ हाथ बढ़ाया और नर सेवा नारायण सेवा का संकल्प लिया वह हर था दुबई नर्सरी के मालिक श्री कैलाश नारायण दुबे का और उसके बाद लगातार संख्या बढ़ती चली गई काफिला बढ़ता गया और उसमें लोग जुड़ते चले गए शासकीय कर्मचारी और शिक्षक श्री कमलेश गुप्ता जी ने भी अपना योगदान बखूबी दिया शासकीय कर्मचारी शिक्षक संगीता शिवहरे ने भी अपना योगदान इस कार्यक्रम में दिया इस पूरी संस्था की कार्यकारिणी बनाई गई जिसमें रमेश चंद्र अग्रवाल अध्यक्ष शीतल चंद जैन सचिव गोविंद प्रसाद बंसल वित्त सचिव प्रकाश चंद गोयल वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश नारायण दुबे उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण बंसल उपाध्यक्ष भगवान लाल सिंघल सह सचिव राजेंद्र कुमार गुप्ता प्रचार मंत्री राम भरोसी लाल अग्रवाल कार्यकरणी के सदस्य विमल कुमार जैन नरेंद्र कुमार गुप्ता दिनेश कुमार गर्ग अशोक कुमार जैन कैलाश नारायण शर्मा अमन गोयल जगदीश प्रसाद निगोदी प्रमोद कुमार जैन सुभाष चंद्र जैन बृजेश कुमार मंगल महेंद्र कुमार रावत महेश चंद्र शर्मा सत्यनारायण गुप्ता धर्मेंद्र अग्रवाल अनिल निगम पुरुषोत्तम अग्रवाल और कई सदस्य परोक्ष या अपरोक्ष रूप से इससे जुड़े संस्था जो शिवपुरी में काम करती है उसका तकरीबन तकरीबन खर्च ₹100000 मासिक है
आश्रम छोटा सा ही है लेकिन यहां पर मनो रोगियों की संख्या 25 है जिन्हें प्रभु जी कहकर बुलाया जाता है इसमें मनोरोगी 12 और 2 यानी कुल 14 मंदबुद्धि के छह हैं मूकबधिर एक है और मिर्गी से पीड़ित लोगों की संख्या दो है इनकी दिनचर्या जो सुबह 6:00 बजे से 9:00 बजे तक इनका काम होता है अपने आपको फ्रेश करना और उसमें इस संस्था से जुड़े हुए लोगों के द्वारा इनकी मदद करना 9:00 बजे इन्हें नाश्ता दिया जाता है कीर्तन होता है टीवी का दृश्य भी हो सकता है रेडियो की आवाज और भजन-कीर्तन भी हो सकते हैं और संगीत के साथ-साथ अन्य कैरम जैसे और भी कई इन इंडोर गेम इन को उपलब्ध कराए जाते हैं
11:00 बजे भोजन दिया जाता है फिर एक बार समय आता है स्वल्प आहार का जो इनको 3:00 बजे दिया जाता है शाम 5:30 से 6:00 के बीच इनको खाना दिया जाता है इसके बाद आरती होती है और आरती में यह सब शामिल होते हैं फिर भजन आदि का कार्यक्रम यहां आश्रम में आयोजित किया जाता है प्रतिदिन इस आश्रम में जो शिवपुरी में दुबे नर्सरी के पास स्थित है वहां सिर्फ पुरुष प्रभु जी ओ को रखने का ही प्रबंध किया गया है अगर कोई महिला प्रभुजी आती है तो उसे भरतपुर ट्रांसफर किया जाता है लेकिन तब तक जब तक वहां रहती हैं तब तक उनकी खास व्यवस्था आश्रम में की जाती है
इस आश्रम को सरकारी कोई मदद नहीं है लेकिन चिकित्सा मदद पर्याप्त है डॉक्टर अर्पित बंसल मनोचिकित्सक हैं जो लगातार विजिट करते हैं पासी में आनंदपुर ट्रस्ट के संचालक चिकित्सक भी इस कार्यक्रम को प्रोत्साहित करते हैं और मदद करते हैं जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक श्री पीके खरे डॉक्टर एचपी जैन साहब का भी इसमें सहयोग रहता है दुबे नर्सरी से इस आश्रम तक पानी पहुंचाया जाता है तमाम सारे प्रभु जिओ को रखकर न केवल इन्हें बेहतर जीवन दिया जाता है बल्कि इनका इलाज भी यहां किया जाता है सारे प्रभु जी जो मनोरोगी हैं उनका पूरे रिकॉर्ड में रखा जाता है पुलिस को इसकी सूचना दी जाती है और जो स्वस्थ हो जाते हैं उनसे उनका पता पूछ कर उनको घर भी पहुंचाया जाता है कई बार हालात ऐसे होते हैं कि इनकी दशा और दुर्दशा को देखकर उनके अपने ही इनको स्वीकार भी नहीं करते लेकिन आश्रम इन को कभी नहीं ठुकराता
अगर आप भी कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं और नारायण सेवा को ही नारायण सेवा का महत्व देना जानते हैं आप भी कुछ कर सकते हैं आप सोचेंगे कि यहां यह खबर मैं आपसे कहूँगा कि आप दान दीजिए और इस संस्था को मदद कीजिए जी नहीं यह कोई हमारा काम नहीं है और ना ही हम किसी को बाध्य कर सकते हैं दान देने के लिए या मदद करने के लिए यह स्वेक्षा का विषय है अगर आप चाहें तो स्वता अपने मन की आवाज सुनकर कर सकते हैं उसमें हम आपको रोकेंगे भी नहीं लेकिन नारायण सेवा सेवा का महत्व समझाने के लिए हम आप से 2 बात जरूर करेंगे और वह दो बात यह है कि अगर आपको राह चलते बाज़ार में अथवा निगरानी में या के शहर में मोहल्ले में आस में पड़ोस में कहीं भी कोई इस तरह का मनोरोगी या अपनों का सताया हुआ कोई बेचारा जिसका अपना कोई नहीं है और वह सुध बुध खो चुका है उसे आप इस आश्रम तक पहुंचा कर उसका भला जरूर कर सकते हैं और इस संस्था का मकसद निहित कर सकते हैं
जो मनोरोगी है या दिमागी हालत जिनकी ठीक नहीं है उन्हें प्रभु जी कहा जाता है इस तरह से और कोई प्रभु स्वरूप असहाय लावारिस बीमार स्थिति में पड़े तड़प रहे पता नहीं बता पा रहे आप इनको आश्रम तक पहुंचायें या संस्था तक पहुंचाए और इस संस्था का जो पता है वह है अपना घर आश्रम दुबे नर्सरी के पास शिवपुरी मध्य प्रदेश!
इस संबंध में हमने जब गौरव जैन जी से बात की तो उन्होंने बड़े आत्मीयता से कहा कि जब भी मैं इनकी सेवा करता हूं तो पूरी तरह से मुझे ऐसा लगता है कि नारायण की सेवा का फल मुझे प्राप्त हो रहा है मुझे एक अलौकिक शक्ति आशीर्वाद देती है और प्रोत्साहित करती है कि मैं सेवा भाव से यह काम करता रहूं
गौरव जैन समाज सेवी
जब हमने दुबे नर्सरी के मालिक कैलाश नारायण दुबे जी से बात की तो उन्होंने कहा कि जब मेरे पास यह प्रस्ताव आया और मैंने देखा कि इन लोगों की मदद करने वाली एक संस्था है और वह जगह तलाश रही है तब मुझे बेहद प्रसन्नता हुई मेरे पास ही में एक जगह मौजूद थी जो खाली थी और उसे मैंने उपलब्ध करवाया जहां जो कुछ संसाधन हो सकते थे मैंने जुटाए और इस आश्रम को संचालित करने में मैंने मदद की और मैं अपने आप को बहुत गौरवान्वित महसूस करता हूं कि मुझे प्रभु ने इस तरह से नारायण सेवा करने का अवसर दिया
कैलाशनारायण दुवे समाज सेवी
इस अवसर पर हम जब इस आश्रम का अवलोकन कर रहे थे प्रभु जी से मुलाकात कर रहे थे आश्रम की गतिविधियां समझ रहे थे तब हमारी मुलाकात हुई कमलेश गुप्ता जो कि शिक्षक हैं और उन्होंने बताया कि यहां आकर मुझे प्रसन्नता मिलती है मेरा मन प्रसन्न होता है आशीष प्राप्त होते हैं और मैं गर्व करता हूं कि मुझे इनकी सेवा करने का अवसर मिला है
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